बरेली। उत्तर प्रदेश के धोबी समाज ने हिंसा, शोषण और प्रशासनिक भेदभाव के खिलाफ बरेली जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन सौंपा है। गाडगे यूथ ब्रिगेड द्वारा तैयार इस ज्ञापन में चार प्रमुख मुद्दों- संत गाडगे जयंती पर सरकारी अवकाश, प्रतिमा स्थापना में रुकावट, महिला अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार और हत्या के मामले में न्याय- पर त्वरित कार्रवाई की मांग की गई है। राज्य की तीसरी सबसे बड़ी अनुसूचित जाति धोबी समाज ने सरकार और प्रशासन की असंवेदनशीलता पर गहरी नाराजगी जताई है। ज्ञापन में कहा गया कि धोबी समाज श्रमजीवी, शांतिप्रिय और साक्षर समुदाय है, जो देश के विकास में योगदान देता है। लेकिन हाल के वर्षों में इसके खिलाफ अत्याचार, शोषण और हत्याओं की घटनाएं बढ़ी हैं। समाज हर साल 23 फरवरी को संत गाडगे महाराज की जयंती मनाता है, जिसमें नौकरीपेशा लोग और छात्र-छात्राएं शामिल होते हैं। सरकारी अवकाश न होने से भागीदारी प्रभावित होती है। इस साल मुख्यमंत्री ने संत रविदास जयंती पर अवकाश घोषित किया, लेकिन गाडगे जयंती की मांग अनसुनी रही। समाज ने इस अवकाश की मांग दोहराई है। बदायूं में नगर पालिका और कमिश्नर की मंजूरी के बाद संत गाडगे की प्रतिमा का अनावरण तय था, लेकिन प्रशासन ने बिना कारण बताए रोक दिया। इससे समाज में रोष है और मजिस्ट्रियल जांच के साथ प्रतिमा की सम्मानजनक स्थापना की मांग उठी है। वहीं, डिप्टी जेलर मीना कनौजिया के साथ वाराणसी जेलर उमेश सिंह ने जातिगत दुर्व्यवहार किया। उनकी शिकायत पर कार्रवाई न होने से समाज नाराज है और जेलर के खिलाफ सख्त कदम की मांग कर रहा है। कौशांबी के काजू गांव में संगीता (45) और उनके बेटे सर्वजीत (22) की कुल्हाड़ी से हत्या हुई। समाज ने फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई, हत्यारों को फांसी, परिवार को 1 करोड़ रुपये मुआवजा और छोटे बेटे को नौकरी की मांग की है। ज्ञापन में चेतावनी दी गई कि कार्रवाई न हुई तो समाज अलग-थलग और शोषित महसूस करेगा। गाडगे यूथ ब्रिगेड ने मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की, ताकि धोबी समाज को न्याय मिले और वे मुख्यधारा में बने रहें। यह ज्ञापन उनके संघर्ष का प्रतीक है।