उसहैत चेयरमैन ने पर्यावरण दिवस पर नक्षत्र वाटिका शुरु की
उसहैत। विश्व पर्यावरण दिवस 2021 आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं और देखिए आ गया फिर यह दिन कुछ नए संकल्प याद दिलाने जैसा कि उसहैत चेयरमैन सैनरा वैश्य जो हमेशा ये कहती हैं कि यह दिन सिर्फ एक दिन मात्र मनाने का नहीं है बल्कि संकल्प उठाने का दिन है और इसी दृष्टि से आज फिर उन्होंने नगर के लोगों को एक नई ऊर्जा , एक नया कांसेप्ट और सकारात्मक माहौल प्रदान करने के लिए नक्षत्र वाटिका का शुभारंभ कर दिया है जी हां नक्षत्र वाटिका कई लोगों को लग रहा होगा कि नक्षत्र वाटिका का क्या मतलब है तो उसके लिए उनका कहना है की हम सब सर्वे भवंतु सुखिनः में विश्वास रखने वाले लोग हैं अतः अंतरिक्ष हमारी पृथ्वी यहां तक कि हमारे ग्रह नक्षत्र भी प्रसन्न रहें यह बहुत जरूरी है अर्थात हर नक्षत्र का अपना एक निर्धारित वृक्ष होता है जिसको पौधा रोपने से उसका भरण पोषण करने वा दर्शन मात्र से ही लाभ मिल जाता है दूसरा उद्देश्य ये भी है की आम जन मानस को एक साथ कई वृक्षों के एक ही जगह पर औषधीय गुण भी समझ में आएंगे। अधिकतर देखा गया है की वो खुद हमेशा पर्यावरण के अनुकूल कार्य करती दिखाई देती हैं उनका कहना है उन्होंने भगवान को कभी नही देखा तो उनके लिए तो ये वायु पृथ्वी गंगा मां और तुलसी जी ही भगवान हैं जो सामने है जिनसे जीवन मिल रहा है उन्हे हम बर्बाद करने मे लगें हैं और भगवान की खोज करते रहते है उनके स्वरूपों को नकार कर अर्थात नक्षत्र के निर्धारित पौधे रोपकर ग्रह दोष कम करने जैसा बताते हैं और उनका यह कहना सिर्फ उनके अपने दिमाग की उपज नहीं बल्कि इसका व्याख्यान तो हमेशा से पुराणों में होता आया है …. इस तरीके से नक्षत्र वाटिका में ज्ञान विज्ञान पर्यावरण और धर्म का समन्वय सुंदर तरीके से हो जाएगा जो लोग अपने नक्षत्र से निर्धारित पौधे को रोपने का कार्य करेंगे वह उन पौधों को वृक्ष तक का सफर तय कराएंगे और वह भी बड़े स्नेह दुलार और धर्म के समन्वय से ।
दूसरी ओर वायुमंडल के शुद्धि की दृष्टि से कई परिवारों को हवन करने के लिए प्रेरित किया साथ ही स्वयं भी अपने परिवार जनों के साथ अटेना गंगा घाट पर महायज्ञ का आयोजन किया हम अपनी धरती को स्वस्थ रखें इसके लिए पौधारोपण तो करना है हैं लेकिन सिंगल यूज प्लास्टिक के इस भयानक दुश्मन से भी अपनी पृथ्वी को बचाना होगा और इसी के चलते उन्होंने हाथ से बने जूट और कैनवास के थैले वितरित किए । लोगों को संदेश दिया के हर वो कदम उठाएं जो पर्यावरण के हित में हो और अपने बस में भी हो जी हां ठीक सुना अगर ये विचार अपने मन में ठान ले कि सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करना है तो हर समय हमें अंतःकरण से यह आवाज आती रहेगी कि पॉलिथीन का उपयोग ना करके थैले वाली पुरानी पद्धति में लौटना अति आवश्यक हो गया है ।