अब कब्जा मुक्त होगा किला का यह 250 साल पुराना मन्दिर कब्जा न छोड़ने पर होगी सख्त कार्यवाही
बरेली। 250 साल पुराना मंदिर कब्जा मुक्त होगा। यहां पर वाहिद अली नाम का शख्स कब्जा किए हुए है। गुरुवार को प्रशासन की टीमें जांच करने पहुंची। कोऑपरेटिव सोसाइटी के सचिव विकास शर्मा ने कहा-यहां पर जो समिति के लिए दो कमरे किराए पर लिए गए थे। 2022 में सरकारी बिल्डिंग बनने पर यहां से खाली कर दिया गया। उस वक्त चौकीदार वाजिद अली से भी यह जगह खाली करने को कहा गया था।
मगर वह लगातार अवैध रूप से यहां पर रह रहा है। उन्होंने कहा कि वाजिद अली अगर इस जगह को खाली नहीं करता है तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। नायब तहसीलदार, सहकारी समिति के अधिकारी, किला थाने की पुलिस मौके पर पहुंची। नायब तहसीलदार चौबारी बृजेश सिंह ने बताया कि शिकायत मिली थी कि यहां पर श्रीगंगा महारानी मंदिर पर चौकीदार वाहिद अली का कब्जा है। मौके पर पहुंचकर छानबीन की गई है। वाहिद अली उसके बेटे और स्थानीय लोगों से भी बात की गई। इसके साथ ही मंदिर के वंशज राकेश सिंह से बात की गई है। सभी लोगों के लिखित बयान लेने के बाद यह जांच रिपोर्ट आला अधिकारियों को सौंपी जाएगी, जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सहकारी समिति के सचिव विकास शर्मा का कहना है कि 2 साल पहले सरकारी गोदाम बनने पर यहां से गोदाम को स्थानांतरित कर दिया गया। उस वक्त चौकीदार वाहिद अली से यह जगह खाली करने को कही गई थी लेकिन उसने अभी तक यह जगह खाली नहीं की है। एडीसीओ सदर अर्जुन का कहना है कि वाहिद अली रिटायर हो चुके है उनको हटाया जाएगा। बाकी जो समिति के सचिव विकास शर्मा ने बताया है वही सही है। हिंदू संगठन से जुड़े पंकज पाठक ने कहा कि वाहिद अली ने यहां पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। अगर पुलिस प्रशासन इसे खाली नहीं कराएगा तो हम लोग यहां पर धरना प्रदर्शन करेंगे, भूख हड़ताल करेंगे। पंकज पाठक ने कहा कि कटघर का हिंदू समाज और हमारे हिंदू संगठन के लोग यहां पर आकर प्रदर्शन करेंगे। उनका कहना है कि पिछली सरकारों में इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। लेकिन हमें उम्मीद है योगीराज में इस मंदिर को चौकीदार वाजिद अली से खाली कराया जाएगा। बरेली के किला क्षेत्र के कटघर गंगा महारानी का मंदिर था। जो 250 साल पुराना बताया जा रहा है। यहां मुस्लिम समुदाय पर मंदिर पर कब्जा करने का आरोप लगा है। गंगा महारानी के मंदिर को बनाने वाले परिवार के वंशज राकेश सिंह ने बताया- 5 पीढ़ियों पहले ये मंदिर बनाया गया था। 1905 में गंगा महारानी के मंदिर को लिखापढ़ी में लाया गया। 1950 तक मंदिर में पूजा भी होती रही। मंदिर के पुजारी ने एक समिति को मंदिर का एक कमरा किराए पर दे दिया। समिति ने मंदिर में वाहिद अली नाम के चौकीदार को रख लिया। धीरे-धीरे वाहिद अली ने मंदिर में लोगों के आने-जाने पर पाबंदी लगा दी। जब कोई जाता था तो वह मंदिर में ताले डाल देता था। धीरे-धीरे मंदिर में जाने वाले लोगों का आवागमन पूरी तरह से बंद हो गया। आरोप है कि मंदिर के चौकीदार वाहिद अली ने मंदिर की प्रतिमाओं को भी खुर्द बुर्द कर दिया। वाहिद अली का कहना है यहां कभी भी मंदिर नहीं था। मंदिर के सभी दस्तावेज जिलाधिकारी को सौंपे गंगा महारानी के मंदिर को बनाने वाले परिवार के वंशज राकेश सिंह ने अपने दस्तावेज दिखाते हुए मंदिर पर कब्जे की बात का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि अब मंदिर का अस्तित्व मुस्लिम समुदाय के लोगों ने खत्म कर दिया है। अब उसे गंगा महारानी के मंदिर पर वाहिद अली ने कब्जा कर रखा है और वो पूरे परिवार के साथ मंदिर में रहता है। राकेश सिंह के मुताबिक, सभी सरकारी कागजों में वहां पर गंगा महारानी का मंदिर अंकित है। लेकिन वाहिद अली ने दबंगई दिखाते हुए उस पर कब्जा कर लिया। इस मंदिर में एक दूधिया शिवलिंग था और भगवान भोलेनाथ का पूरा परिवार था। चांदी की मूर्तियां भी थी। आज से दो ढाई सौ साल पहले राकेश सिंह के वंशजों ने ही इस जगह को बसाया था। पहले यहां बहुत कम आबादी थी। सन 1800 में रेलवे लाइन भी उनकी जमीन पर ही निकली थी। और उसे पहले से ये मंदिर मौजूद था। धीरे धीरे यहां मुस्लिम आबादी बढ़ती गई और उन लोगों का दबदबा हो गया। अब यहां पर हिंदुओं के मकान कम है और मुस्लिमों के मकान ज्यादा है।राकेश सिंह का परिवार गंगा महारानी के मंदिर होने का दावा कर रहा है। वहीं मुस्लिम समुदाय उनके इन दावे को खारिज कर रहा है, जबकि राकेश सिंह के पास जो कागज मौजूद है। उसमें साफ तौर पर अंकित किया हुआ है कि जिस मकान पर वाहिद अली अपना कब्जा जमाए बैठे हैं। दरअसल वह प्राचीन गंगा महारानी का मंदिर है।अब राकेश सिंह और उनके परिवार और सनातन से जुड़े स्थानीय लोगों ने योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप करने की मांग की। ताकि एक बार फिर गंगा महारानी का मंदिर वाहिद अली के चंगुल से आजाद हो जाए। मंदिर पर कब्जे की खबर को दैनिक भास्कर ने प्रमुखता से दिखाया तो हड़कंप मच गया। गुरुवार को पुलिस प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर जांच करने पहुंचे।
वाजिद सहकारिता विभाग की सोसाइटी में चौकीदार है, इस तरह का कोई रिकार्ड विभाग में नहीं है। जिसने मुश्किल से आधार कार्ड दिखाया हो और तीन साल पहले 72 साल का हो, वह अब तक अपने को चौकीदार कैसे कह रहा है। पुराना मामला है, कल इसे दिखवाएंगे।