कान्हा की माखन चोरी और अभिमन्यु वध की लीलाओं को देख भावुक हुए दर्शक
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शाहजहांपुर। शहर में पहली बार गीता जयंती के अवसर पर मुमुक्षु आश्रम के मुख्य अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के मार्गदर्शन में गीतोउपदेश (कृष्ण लीला) का मंचन विश्व प्रसिद्ध रासाचार्य श्रीमद् स्वामी देवकीनंदन जी महाराज की रासलीला मंचन के चौथे दिन कान्हा की माखन चोरी व अभिमन्यु वध की लीला का भावपूर्ण मंचन किया गया।आज सबसे पहले कलाकारों ने मनमोहक मोर नृत्य प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। इसके उपरांत प्रस्तुत रास लीला में सबसे पहले भगवान श्री कृष्ण की माखन चोरी की लीला का मंचन किया गया। इसके उपरांत रास लीला में अभिमन्यु वध की लीला का मंचन हुआ । जिसमें दिखाया गया कि महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में 18 दिनों तक चला। जहां कौरव धोखा देने और छल कपट में अव्वल थे। वहीं, पांडव धर्म की ओर से लड़ रहे थे। कौरवों ने पांडवों को हराने के लिए छल की रणनीति बनाई। कौरव चाहते थे कि वो युधिष्ठिर को बंदी बनाकर युद्ध जीत लें जिसके लिए उन्होंने सोचा कि वो अर्जुन को युद्ध में उलझाकर चारों भाइयों से दूर ले जाएंगे और फिर युधिष्ठिर को बंदी बना लेंगे।इस रणनीति को अंजाम देते हुए कौरव सेना की एक टुकड़ी ने अर्जुन से युद्ध किया और वो उसे रणभूमि से दूर ले गए। वहीं, गुरु द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर को बंदी बनाने के लिए चक्रव्यूह की रचना क। यह चक्रव्यूह कैसे तोड़ना है इसकी जानकारी केवल पांडवों को थी। जैसे ही अर्जुन रणभूमि से दूर गया वैसे ही द्रोणाचार्य ने पांडवों को ललकारा। उन्होंने कहा कि या तो युद्ध करो या फिर हाल मान लो। पांडवों ने सोचा कि अगर वो युद्ध नहीं करेंगे तो भी हारेंगे और युद्ध करेंगे तो भी हारेंगे। यह देख धर्मराज युधिष्ठिर को कोई उपाय नहीं सूझ रहा था।इस कशमकश के दौरान धर्मराज युधिष्ठिर के सामने एक युवक आया और उसने कहा कि काकाश्री, मुझे चक्रव्यूह को तोड़ने और युद्ध करने का आशीर्वाद दीजिए। यह और कोई नहीं बल्कि अभिमन्यु था, अर्जुन का पुत्र। लेकिन वह अपने पिता की तरह युद्ध कौशल में निपुण थे। लेकिन युधिष्ठिर ने अभिमन्यु को मना कर दिया। लेकिन अभिमन्यु नहीं माना। उसने कहा कि जब वो अपनी मां के गर्भ में था तब उसके पिता ने उसे चक्रव्यूह तोड़ना सिखाया था।अभिमन्यु के सामने युधिष्ठिर ने हार मान ली।
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सभी युद्ध के लिए तैयार हो गए। जब कौरवों ने अभिमन्यु को रणक्षेत्र में देखा तो वो सभी उसका मजाक उड़ाने लगे। लेकिन जब अभिमन्यु का युद्ध कौशल सभी ने देखा तो सभी हैरान परेशान हो गए। अभिमन्यु ने दुर्योधन के पुत्र लक्ष्मण को मार गिराया और चक्रव्यूह में प्रवेश कर गया। जैसे ही अभिमन्यु ने चक्रव्यूह में प्रवेश किया तो राजा जयद्रथ ने उसका द्वार बंद कर दिया।अभिमन्यु दृढ़ता से आगे बढ़ रहा था। ता जा रहा था। अभिमन्यु ने एक-एक कर सभी को मार गिराया। दुर्योधन, कर्ण और गुरु द्रोणाचार्य को अभिमन्यु से हार माननी पड़ी। इसी बीच कौरवों के सभी महारथियों ने अभिमन्यु पर एकसाथ हमला कर दिया। किसी ने अभिमन्यु का रथ तोड़ दिया तो किसी ने इसका धनुष। लेकिन दृढ़ अभिमन्यु रुका नहीं। उसने रथ का पहिया उठाया और युद्ध करना शुरू कर दिया। अभिमन्यु अकेला लड़ता रहा। आखिरी में सभी ने मिलकर अभिमन्यु की हत्या कर दी। जब अर्जुन को यह बात पता चली तो अर्जुन ने जयद्रथ का वध करने की प्रतिज्ञा ली।कलाकारों ने लीलाओं का भावपूर्ण मंचन कर दर्शकों को भावविभोर कर दिया व रास-लीलाओं में कलाकारों ने रासलीला का वास्तविक अर्थ नृत्य,गान एवं अभिनय तीनो कलाओं के समावेश कर रासलीला को जीवंत बना दिया।विदूषक के रूप में ‘मनसुखा’ ने साथ-ही-साथ दर्शकों का भी मनोरंजन किया। आज की रासलीला का शुभारंभ का पूजन भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष बाबूराम गुप्ता ने किया। समापन पर आरती ददरौल के विधायक अरविंद सिंह ने की।रासलीला के दौरान मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद, मुमुक्षु आश्रम के सचिव डा. अवनीश मिश्रा,महाविद्यालय के प्राचार्य प्रा. डा. आर के आजाद , रामनिवास गुप्ता, सुयश सिन्हा, चंद्रभान त्रिपाठी, अवनीश सिंह चौहान, शिव ओम शर्मा, आदि मौजूद रहे।