राजकीय महाविद्यालय में हुई बौद्धिक संपदा अधिकार कार्यशाला
बदायूँ। आवास विकास स्थित राजकीय महाविद्यालय में भौतिकी विभाग और आईक्यूएसी सेल द्वारा आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) पर चर्चा हुई। इस कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों और शिक्षकों को आईपीआर के बारे में जागरूक कर उन्हें नवाचार और उद्योग के संवर्धन में इसके उपयोग के बारे में बताना था। बौद्धिक सम्पदा अधिकार के अनुरक्षण, पेटेंट और डिजाईन पर केन्द्रित कार्यशाला केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग व आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के पेटेंट, डिजाईन ट्रेड मार्क महानियंत्रक कार्यालय के सहयोग से सम्पन्न हुई। जिसमें भारत सरकार के पेटेंट तथा डिजाईन परीक्षक परीक्षक यासिर अब्बास जैदी ने विद्यार्थियों एवं प्राध्यापकों को दो सत्रों में अलग अलग प्रशिक्षण प्रदान किया। कार्यशाला का उद्घाटन मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन के द्वारा हुआ। अध्यक्षता प्राचार्य डॉ नरेंद्र कुमार बत्रा तथा संचालन डॉ रविंद्र सिंह यादव ने किया। कार्यशाला के आयोजक डॉ. संजीव राठौर ने कहा कि कार्यशाला के माध्यम से शिक्षक और विद्यार्थी अपने शोध श्रम के द्वारा अर्जित बौद्धिक सम्पदा को अनुरक्षित कर नए नए स्टार्टअप के द्वारा विकसित भारत के निर्माण में योगदान कर सकते हैं। ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों मोड में आयोजित इस कार्यशाला में देश के विभिन्न राज्यों के विद्यार्थियों और शिक्षकों ने प्रतिभाग किया। प्राचार्य डॉ नरेंद्र कुमार बतरा ने देशभर के विभिन्न राज्यों के प्रतिभागी छात्रों एवं प्राध्यापकों का स्वागत करते हुए कहा कि भारत सरकार उच्च शिक्षण संस्थानों में नवाचार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन कर अनूठे आयाम स्थापित कर रही है। उन्होंने कहा निश्चित ही हमारे देश की युवा पीढ़ी अपने बौद्धिक संपदा अधिकार का उपयोग करना सीखेगी। प्रथम सत्र में विद्यार्थियों के लिए आयोजित कार्यशाला में प्रो. यासिर अब्बासी जैदी ने कहा कि आज के शैक्षणिक और व्यावसायिक परिदृश्य में बौद्धिक संपदा की समझ से IPR का ज्ञान छात्रों को उनके नवाचारों और अनुसंधान को सुरक्षित रखने के साथ-साथ रचनात्मकता और उद्यमिता को बढ़ावा देने में सक्षम बनाता है। प्रो. जैदी ने प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया कि वे अपने विचारों और उत्पादों की सुरक्षा के लिए उपलब्ध कानूनी ढांचों का अध्ययन करें, जिससे वे भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार हो सकें। सत्र का समापन करते हुए उन्होंने आयोजकों और प्रतिभागियों का धन्यवाद किया और इस कार्यशाला के माध्यम से बौद्धिक संपदा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के महत्व पर बल दिया।
शिक्षकों के लिए हुए दूसरे सत्र में प्रो यासिर अब्बासी जैदी ने कहा कि आज के समय में शैक्षणिक अनुसंधान और नवाचार को सुरक्षित रखना अत्यंत आवश्यक है। प्रो. जैदी ने जोर देकर कहा कि शिक्षक न केवल अपने शोध को कानूनी सुरक्षा प्रदान करें, बल्कि छात्रों को भी इस दिशा में प्रेरित करें। उन्होंने बताया कि IPR जागरूकता संस्थानों को न केवल नवाचारों को प्रोत्साहित करने में मदद करती है, बल्कि शोधकर्ताओं को उनके बौद्धिक प्रयासों का उचित श्रेय भी दिलाती है। उन्होंने पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क और डिज़ाइन रजिस्ट्रेशन जैसे विभिन्न IPR पहलुओं की जानकारी दी। प्रो. जैदी ने कहा कि शिक्षक अगर अपने ज्ञान और अनुसंधान को सुरक्षित रखेंगे तो आने वाली पीढ़ी भी सीख सकेगी। सत्र के अंत में, प्रो. जैदी ने प्रतिभागी शिक्षकों और आयोजकों का आभार व्यक्त किया और कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएँ न केवल ज्ञान का विस्तार करती हैं, बल्कि संस्थागत स्तर पर नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देती हैं। उन्होंने सभी से अपील की कि वे IPR के सिद्धांतों को अपने शैक्षणिक और शोध कार्य का अभिन्न हिस्सा बनाएं। एकदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के दोनों सत्रों की अध्यक्षता भौतिक विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ श्रद्धा गुप्ता ने की। इस अवसर पर नेहरू मेमोरियल शिव नारायण दास कॉलेज, राजकीय महिला महाविद्यालय, गिन्दो देवी महिला महाविद्यालय, एचपी हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट, ऐस इंस्टीट्यूट, बांके बिहारी महाविद्यालय,अयोध्या प्रसाद मेमोरियल महाविद्यालय के प्राध्यापकों , शोधार्थियों एवं छात्र-छात्राओं सहित डॉ बबीता यादव, डॉ सतीश सिंह यादव, शशिप्रभा , डॉ सचिन कुमार, डॉ गौरव कुमार सिंह, डॉ प्रियंका सिंह, डॉ सरिता, डॉ दिलीप वर्मा, डॉ पवन कुमार शर्मा, डॉ राशेदा खातून,डॉ जुनेद आलम आदि उपस्थित रहे। कार्यशाला में तकनीकी सहयोग बीएससी पंचम सेमेस्टर के छात्र अली राजा तथा भौतिक विज्ञान परिषद के अध्यक्ष आकाश शर्मा ने किया। ऑनलाइन रूप से 300 से अधिक पंजीकृत प्रत्याशियों ने कार्यशाला में प्रतिभाग किया।