एआई में अवसरों के साथ चुनौतियां भी : डॉ मंजरी
शाहजहांपुर। स्वामी शुकदेवानंद महाविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग एवं व्यवसाय प्रबंधन विभाग के द्वारा संयुक्त रूप से “भारतीय अर्थव्यवस्था में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका” विषय पर एक अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग की अध्यक्षा डॉ मंजरी गुप्ता मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। अपने उद्बोधन में उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि सभी मनुष्यों का शुरुआती बिंदु एक ही है। हम सभी को सपने देखते हुए अपना एक निश्चित लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। कुछ पाने के लिए निश्चित रूप से कुछ खोना अवश्य पड़ेगा, क्योंकि प्रत्येक चीज को किसी भी दशा में हासिल नहीं किया जा सकता। उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि आज प्रत्येक क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग बढ़ता ही जा रहा है। ऐसी दशा में विद्यार्थियों को स्वत: सक्रिय रहते हुए अपने ज्ञान का स्तर बढ़ना होगा। हमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता का सदुपयोग करना सीखना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि परंपरागत एआई अब उतना लोकप्रिय नहीं रह गया है। इसका स्थान मशीन लर्निंग एवं डीप लर्निंग ने ले लिया है। मशीन लर्निंग पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा की मशीन लर्निंग प्रोग्राम उपलब्ध डेटा के आधार पर स्वयं लॉजिक ढूंढता है। पिछले दस वर्षों में हमने बहुत सारा डाटा इकट्ठा किया है। आज के समय में हमारे पास पर्याप्त संगणन क्षमता एवं डाटा उपलब्ध है एवं हम सभी मशीन लर्निंग का प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने ईमेल में मशीन लर्निंग के प्रयोग को समझाते हुए बताया कि हमें स्पैम मेल को कैसे पहचानना चाहिए। उन्होंने कहा कि मशीन लर्निंग की तकनीक पूर्णतया ह्यूमन लर्निंग पर ही आधारित है। ह्यूमन लर्निंग एवं मशीन लर्निंग में अंतर पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए उन्होंने मशीन लर्निंग के विभिन्न प्रकारों को समझाया। डॉ मंजरी ने कहा कि आज मशीन लर्निंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं डीप लर्निंग उभरती हुई तकनीकें हैं। इनका उपयोग प्रत्येक क्षेत्र में हो रहा है।
महाविद्यालय के सचिव डॉ अवनीश मिश्र ने कहा कि आज बिजनेस और डिजिटलाइजेशन बहुत तेजी से उभरते हुए एवं विकसित होते हुए क्षेत्र हैं, किंतु सर्वाधिक गतिशील विषय होने के नाते इन विषयों में चुनौती एवं प्रतिस्पर्धा भी है। उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के माध्यम से अवसर एवं चुनौतियां दोनों बढ़ रहे हैं। कार्यक्रम संयोजक डॉ संदीप अवस्थी ने बैंकिंग क्षेत्र में डिजिटलाइजेशन पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर बीबीए एवं बीसीए विभाग के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को पुरस्कृत भी किया गया। पुरस्कृत होने वालों में उत्कर्ष पांडे, अनुष्का दीक्षित, तनीषा गुप्ता, आकृति सक्सेना, कृष्णा गुप्ता एवं विशु सक्सेना रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ महिमा सिंह ने एवं धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो आर के आजाद ने किया। कार्यक्रम में व्यवसाय प्रबंधन विभाग के अध्यक्ष डॉ अंकित अवस्थी, डॉ मधुकर श्याम शुक्ला, डॉ अनामिका शुक्ला, डॉ अभिजीत मिश्रा, डॉ उमेश सिंह विसेन, डॉ बरखा सक्सेना, विपुल दीक्षित सहित दोनों विभागों के विद्यार्थी उपस्थित रहे।