देवत्व के जागरण हेतु करें साधना : स्वामी चिन्मयानंद
शाहजहॉपुर। स्वामी शुकदेवानंद महाविद्यालय में ब्रह्मलीन पूज्य संत स्वामी शुकदेवानंद के साठवें निर्वाण दिवस पर एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम से पूर्व स्वामी शुकदेवानंद की प्रतिमा के समक्ष पूजन एवं पुष्पांजलि अर्पित की गई। आदेश पांडेय के निर्देशन में गीता एवं श्रीरामचरितमानस के बालकांड में वर्णित गुरूमहिमा का पाठ किया गया। गुरुवंदना डॉ कविता भटनागर ने प्रस्तुत की। स्वामी शुकदेवानंद को श्रृद्धांजलि देते हुए मुमुक्षु शिक्षा संकुल के मुख्य अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने कहा कि स्वाधीनता के उपरांत देश के चिंतकों ने स्वाधीन भारत के विषय में अनेकों विचार रखे। उन्होंने कहा कि पूज्य संत स्वामी शुकदेवानंद एक ऐसी विचारधारा के अग्रदूत थे जिसके मूल में भारत की अखंडता का संरक्षण निहित था। उन्होंने बताया कि स्वामी जी का प्रत्येक दिन प्रार्थना से शुरू होता था क्योंकि उनका विचार था कि स्वस्थ चिंतन के लिए प्रार्थना नितांत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि सुषुप्त देवत्व को जगाने के लिए शिक्षा एवं संस्कार दो साधन हैं। अपनी साधना को जारी रखते हुए स्वामी जी ने शाहजहांपुर में पहले संस्कृत महाविद्यालय, इसके उपरांत इंटर कॉलेज एवं वर्ष 1964 में स्वामी शुकदेवानंद डिग्री कॉलेज की स्थापना की।
स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि जीवन में आपदाएं एवं मुश्किलें आती रहेंगी किंतु हमें उन पर अपने दृढ़ आत्मविश्वास के साथ विजय पाते हुए अपनी एवं अपनी संस्था की उन्नति के लिए निरंतर प्रयास करते रहना है। गढ़ मुक्तेश्वर से आये स्वामी सर्वेश्वरानंद ने कहा कि स्वामी शुकदेवानंद के द्वारा दैवी संपद मंडल की स्थापना की गई एवं वे उसके प्रथम महामंडलेश्वर भी थे। उन्होंने कहा कि देवत्व का गुण बहुत सहज है। उदाहरण के लिए सत्य बोलना बहुत आसान है जबकि झूठ बोलना नितांत कठिन है। उन्होंने कहा कि हम सब ईश्वर के अंश हैं, अतः हमें अपने अंदर देवत्व को जागृत करने का प्रयास करते रहना चाहिए। महाविद्यालय के सचिव डॉ अवनीश मिश्र ने कहा कि पूज्य स्वामी शुकदेवानंद ने मुमुक्षु शिक्षा संकुल की स्थापना आध्यात्मिक पृष्ठभूमि पर की थी। उनका यह विचार था कि जो मोक्ष के आकांक्षी हैं, उन्हें समाज हेतु कैसे तैयार किया जाए। उन्होंने कहा कि समाज में दो तरह की प्रवृत्तियां हैं- आसुरी और दैवीय। दैवीय प्रवृत्ति के प्रचार प्रसार हेतु मुमुक्षु शिक्षा संकुल की स्थापना हुई। उन्होंने कहा कि हमारे कर्मों पर संगत का असर व्यापक रूप से पड़ता है। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो आर के आजाद ने सभी का स्वागत किया। डॉ शिशिर शुक्ला के संचालन में हुए कार्यक्रम में डॉ कविता भटनागर, डॉ प्रतिभा सक्सेना एवं अंजलि के गुरुभजन प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का समापन आरती के साथ हुआ। इस अवसर पर एक विशाल भण्डारे का आयोजन भी किया गया। कार्यक्रम में प्रो मधुकर श्याम शुक्ला, प्रो प्रभात शुक्ला, डॉ मेघना मेहंदीरत्ता, प्रो आलोक मिश्रा, प्रो अजीत सिंह चारग, डॉ दीप्ति गंगवार, अनिल मालवीय, श्रीप्रकाश डबराल, सुयश सिन्हा, राम निवास गुप्ता, रवि बाजपेयी, चंद्रभान त्रिपाठी सहित मुमुक्षु शिक्षा संकुल की सभी शिक्षण संस्थाओं के शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारी उपस्थित रहे।