मथुरा। तीर्थनगरी मथुरा में मंगलवार को योग गुरु स्वामी रामदेव पहुंचे। यहां उन्होंने आर्य जगत के लेखक आचार्य प्रेमभिक्षु महाराज की जन्म शताब्दी के कार्यकम में हिस्सा लिया। कार्यक्रम मसानी चौराहा स्थित गुरु विरजानंद आर्य गुरुकुल वेद मंदिर में हुआ। इस मौके पर उन्होंने कहा कि वह लगभग 33 वर्ष पहले वेद मंदिर में महाभाष्य पढ़ने के लिए आए थे। आज वे जो कुछ भी हैं सत्यार्थ प्रकाश और महर्षि दयानंद की बदौलत हैं और पूरी दुनिया में हलचल मचा रहे हैं। कहा कि आचार्य प्रेम भिक्षु का जीवन तपस्वी व त्यागमयी था। आज की युवा की पीढ़ी को उनकी विचारधारा से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आचरण की पवित्रता ही सबसे बड़ा धर्म है। महर्षि दयानंद का अनुयायी होने की यह पहली शर्त भी है। कर्म में आचरण की पवित्रता नहीं है तो नाम जप का कोई फायदा नहीं होता है। उन्होंने कहा कि जीवन में प्रसन्न रहना है तो सबके प्रति दया, करुणा, उदारता, प्रेम और शरणागत की प्रवृत्ति होनी चाहिए।कहा कि सबसे बड़ी पूजा अग्निहोत्र या हवन है। सभी को दैनिक या साप्ताहिक हवन अवश्य करना चाहिए। वेद मंदिर के अधिष्ठाता आचार्य स्वदेश ने स्वामी रामदेव का अभिनंदन किया। इसके बाद आचार्य प्रेमभिक्षु के जीवन पर प्रकाश डाला। इस बीच उपस्थितजनों ने स्वामी रामदेव को सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक भेंट की और आर्यवीर दल के कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया।कार्यक्रम में आचार्य महिपाल, स्वामी इंद्रेश्वरानंद, आचार्य नरेंद्रानंद, आचार्य सत्यप्रिय आर्य, विधायक राजेश चौधरी, प्रवीन अग्रवाल, वीरेंद्र अग्रवाल, कुंवर नरेंद्र सिंह, संतोष आर्य, डॉ. विवेक प्रिय आर्य, सोनू मालिक आदि मौजूद रहे।