राम कथा में राम केवट संवाद में भाव विभोर हुए श्रोता
शाहजहांपुर। मुमुक्षु महोत्सव में मुमुक्षु आश्रम में चल रही श्रीराम कथा के तीसरे दिन माँ गंगा के अवतरण एवं सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र के प्रसंग ने श्रोताओं का मन अपनी ओर खींच लिया। डॉ आर के आजाद एवं श्रीमती रश्मि आजाद ने कथा व्यास का पूजन किया। कौशल जी महाराज ने कहा कि कलयुग में राम कथा श्रवण ही सबसे उपयोगी है। राम की कथा आदि अनादि काल से शिव ,ब्रह्म, ऋषि, मुनि सब सुनते सुनाते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि रामकथा को ठीक वैसे ही सुनना चाहिए जैसे कोई रोगी चिकित्सक की बात सुनता है। श्रीराम कथा के प्रसंग को आगे बढ़ाने से पहले श्री रामायण जी की आरती की गई।
कथा व्यास कौशल जी महाराज ने वनवास की कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जब राम, लक्ष्मण व सीता वनवास पर गये तो सुमंत भी उनके साथ गये। प्रभु श्रीराम ने उनसे अयोध्या वापस लौट जाने को कहा। सुमंत जी ने कहा महाराज आप राजमहल में पले बढ़े हैं, किंतु अब आप वनवास के इतने कठिन जीवन को कैसे जिएंगे। तब श्रीराम ने अपने पूर्वजों के कठोर तप और संघर्ष का प्रसंग सुनाया।उन्होंने अपने पूर्वजों में सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र की कथा का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि हमारे जीवन में कठोर क्षण आते रहते हैं किंतु हमने कुल की परंपरा के निर्वाह का व्रत भी लिया है। केवट प्रसंग की कथा श्री राम गंगा पार करने के लिए केवट के पास गये और उससे अपनी नाव से गंगापार उतारने को कहा। केवट ने पार उतरवाई के रूप में प्रभु से उनके चरण पखारने की आज्ञा मांगी। गंगा पार करते समय जब गंगा मैया राम जी के पैर पखारने को हिलोरें मारकर आगे बढ़ी तो नाव डगमाने लगी। केवट ने कहा-“मेरी नैया में लक्ष्मन राम गंगा मैया धीरे बहो” भजन की संगीतमयी प्रस्तुति पर कथा पंडाल में मौजूद श्रोता भावविभोर हो झूम उठे। श्रीराम ने केवट को स्वर्ण मुद्रिका देनी चाही किंतु उसने मुद्रिका लेने से यह कहकर मना कर दिया कि हे दीनदयाल! आपके दर्शन मात्र से मेरे जीवन के सभी दुख ,दोष व दरिद्रता मिट गये हैं। अब और कुछ नहीं चाहिए।
इसके उपरांत श्रीराम ने प्रयागराज में भारद्वाज ऋषि के आश्रम पहुंचकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। कथाव्यास ने कहा कि काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष आदि से मुक्त होने के लिए हमें श्रीराम कथा का अमृतपान करना चाहिए। कथा के समापन पर प्रसाद वितरण राजीव मेहरोत्रा, डॉ आर के आजाद एवं कमलेश त्रिवेदी ने किया । डॉ रविमोहन, डॉ संगीता मोहन, जगदीश प्रसाद अग्रवाल मुकेश अग्रवाल ने आरती की। संचालन डा. अनुराग अग्रवाल ने किया।कथा में शिरडी के स्वामी पूर्णानंद जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानंद जी महाराज, स्वामी सर्वेश्वरानंद, मुख्य विकास अधिकारी एस बी सिंह, डा. अवनीश मिश्रा रामचंद्र सिंघल, बद्रीनाथ कपूर, अमरनाथ कपूरिया, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष अरविंद सिंह, संत किशोर त्रिपाठी, प्रभा मिश्रा, मधुलिका त्रिवेदी, मिथिलेश गुप्ता, मीरा मेहरोत्रा, रजनी सेठ डा. प्रभात शुक्ला, डा. आदित्य सिंह ,डॉ संदीप अवस्थी, डॉ श्रीकांत मिश्रा आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।