भगवान से कुछ ना मांगना ही भक्ति का सर्वश्रेष्ठ लक्षण
श्रीकृष्ण-सुदामा का प्रसंग सुनाकर श्रोता भाव विभोर हुए

बदायूं। शहर के बरेली रोड स्थित दुर्गा मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में कथा व्यास आचार्य त्रिलोक कृष्ण मुरारी ने विभिन्न प्रसंगों के साथ साथ सातवें दिन कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं का वर्णन करते हुये सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं।
कथा व्यास वाचक आचार्य त्रिलोक कृष्ण मुरारी ने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र (सखा) से सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं। इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है।
अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया और सुदामा को अपने महल में ले गए ओर उनका अभिनंदन किया। इस दृश्य को देखकर श्रोता भाव विभोर हो गए। उन्होंने सुदामा और कृष्ण की झांकी पर फूलों की वर्षा की । इस अवसर पर श्रीमद् भागवत कथा आयोजक समिति व मंदिर समिति के राजाराम कश्यप, पुनीत कश्यप, बसंत पटवा, योगेंद्र सागर,पूर्व सभासद नन्हे लाल कश्यप, सुधीर कश्यप एडवोकेट, विशेष लोक अभियोजक सुभाष शर्मा, लल्ला बाबू सक्सेना, विशाल वैश्य,आनंद कश्यप, पंडित वैभव पाराशर ,नितिन कश्यप, हिमांशु कश्यप, जोगेंद्र पांडेय, जॉनी कश्यप,सहित काफी संख्या में श्रीमद् भागवत कथा के सेवादार मौजूद रहे
