स्वामी विवेकानंद की जयंती धूमधाम से मनाई गई
बदायू। सर्व समाज जागरुकता अभियान भारत एवम अखिल भारतीय ब्राह्मण महिला महासभा बदायूं के संयुक्त तत्वावधान में समस्त भारतवासियों के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद की जयंती(राष्ट्रीय युवा दिवस) आवास विकास जिला कार्यालय पर धूमधाम से मनाई गई। सर्व प्रथम मुख्य अतिथि/मुख्य वक्ता अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने स्वामी विवेकानंद जी के चित्र पर दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। अध्यक्षता श्री मोहन स्वरूप गुप्ता (जिला संयोजक) ने की संचालन जिला सह संयोजक इंजिनियर प्रमोद कुमार शर्मा ने किया। कार्यक्रम संयोजक श्री मति रानी शर्मा रही। मुख्य अतिथि/मुख्य वक्ता अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने कहा कि” उठो जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।”का संदेश देने वाले स्वामी विवेकानंद जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। स्वामी विवेकानंद जी ने भारत का गौ रब अमेरिका के शिकागो में 1893मे धर्म सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करके बढ़ाया। राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12जनवरी 1863ई को कलकत्ता में हुआ। आपके पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के प्रसिद्ध वकील थे। आपकी मां भुवनेश्वरी देवी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं।वह बचपन में आपको रामायण, महाभारत की कहानियां सुनाती थी। स्वामी विवेकानंद जी के बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था। नरेंद्र ने 1871मे ईश्वर चंद्र विद्यासागर के मेट्रोपोलिटन संस्थान में दाखिला लिया।
1879ई मे कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज की परीक्षा को प्रथम श्रेणी में पास किया।बचपन से ही उनमें ईश्वर को जानने की लालसा थी। इसलिए वह कथवाचक एवम साधुओं से ईश्वर के बारे में पूछते थे लेकिन एक बार उन्हे संत रामकृष्ण परमहंस के बारे में पता चला और वह 1881मे परमहंस के पास जा पहुंचे। उन्होंने उनसे पूछा आपने ईश्वर देखा है तव परमहंस कहा बिल्कुल ऐसे देखा है जैसे तुम्हें देख रहा हूं। नरेंद्र उनके शिष्य बन गए। 1884मे उन्होंने कला साहित्य से स्नातक किया।लेकिन दुर्भाग्य से पिता बहुत बीमार हुए और उनके इलाज मे सारा धन खर्च हो गया स्वामी विवेकानंद जी विचलित नहीं हुए। पिता का इलाज के दौरान निधन हो गया। उन्होंने मां से सन्यास की अनुमति ली। 16अगस्त 1886को उनके गुरु संत रामकृष्ण परमहंस का भी निधन हो गया। अव स्वामी विवेकानंद जी वेदान्त दर्शन और मानव सेवा के लिए भारत भ्रमण पर निकले। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने एक बार कहा था ” आप भारत जानना चाहते हैं तो स्वामी विवेकानंद जी को पढ़िए। उनमें आप सब कुछ सकारात्मक ही पाएंगे, नकारात्मक कुछ भी नहीं।”31मई 1893को स्वामी विवेकानंद जी जापान के शहरो का दौरा करते हुए चीन और कनाडा होते हुए अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करने पहुंचे। 11सितंबर 1893को सम्मेलन में व्याख्यान दिया, उन्होंने भाषण का प्रारम्भ”मेरे अमेरिकी बहिनों एवम भाइयों के साथ किया।
सबने खड़े होकर तालियां बजाकर उनका सम्मान किया। अगले दिन अमेरिकी मीडिया ने स्वामी विवेकानंद जी के भाषण की प्रशंसा की ही चर्चा की। स्वामी विवेकानंद जी चाहते थे कि शिक्षा ऐसी हो जिससे बालक का शारीरिक, मानसिक एवम आत्मिक विकास हो सके। वह बालिकाओं की शिक्षा के पक्षधर थे। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम दिन कहा एक और विवेकानंद चाहिए,यह समझने के लिए कि इस विवेकानंद ने अब तक क्या किया? श्री मिश्र ने कहा कि 04जुलाई 1902को ध्यान की अवस्था में स्वामी विवेकानंद जी सदा के लिए महासमाधि में लीन हो गए अर्थात स्वर्गवासी हो गए। अध्यक्षता करते हुए मोहन स्वरूप गुप्ता जिला संयोजक, संचालक इंजीनियर प्रमोद कुमार शर्मा जिला सह संयोजक, नीरज कुमार शर्मा जिलाध्यक्ष भारतीय जनता मजदूर ट्रेड यूनियन, रमाकांत सक्सेना पूर्व प्रांतीय उपाध्यक्ष, कुलदीप शुक्ला, श्री मति रानी शर्मा ने विचार व्यक्त करते हुए स्वामी विवेकानंद जी को युवाओं का प्रेरणा स्रोत बताया।
आज के कार्यक्रम में श्री मती कमला देवी(बायोब्रद्ध ), नरेशपाल सिंह सेवानिबृत कल्याण समिति,आलोक प्रधान,ओमप्रकाश शर्मा अध्यक्ष राजकीय सिबिल पेंशनर,नरेश चन्द पाठक शिक्षक नेता,नितिन तिवारी,विनोद सिंह,प्रशांत गौड़ ,सुरेश पाल सिंह ,सतेंद्र पल श्याक्य,विशाल गुप्ता,धवन गुप्ता,पवन गुप्ता,राजीव गुप्ता ,सुभाष रानी गुप्ता,कमलेश राठौर ,मयूर गुप्ता , अबी i गुप्ता,श्री मती विमला गुप्ता आदि उपस्थित रहे।