क्रांतिकारी पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल,अशफ़ाक उल्ला खां, क्रांतिकारी ठाकुर रोशन सिंह का बलिदान दिवस मनाया
बदायू।सर्व समाज जागरुकता अभियान भारत एवम अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के संयुक्त तत्वावधान में महान स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल , क्रांतिकारी अशफ़ाक उल्ला खां, क्रांतिकारी ठाकुर रोशन सिंह का बलिदान दिवस जिला कार्यालय पर मनाया गया। सर्वप्रथम मुख्य अतिथि/मुख्य वक्ता अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने तीनों शहीद के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। अध्यक्षता मोहन स्वरूप गुप्ता ने की।संचालन इंजीनियर प्रमोद कुमार शर्मा ने किया। कार्यक्रम संयोजक श्री मति रानी शर्मा (जिला संयोजक सर्व समाज जागरुकता अभियान भारत एवम जिलाध्यक्ष अखिल भारतीय ब्राह्मण महिला महासभा)रही।मुख्य अतिथि/मुख्य वक्ता अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि महान स्वतंत्रता सेनानी, अमर शहीद, क्रान्तिकारी पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल का जन्म 11जून 1897ई को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर शहर के खिरनी बाग मौहल्ले मे हुआ था। आपके पिता पण्डित मुरलीधर और माता मूलमति थीं। पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल ने उर्दू में मिडिल तक शिक्षा प्राप्त की बाद में अंग्रेजी का भी ज्ञान प्राप्त किया। जब वह मुंशी इंद्रजीत से मिले तब उन्हें आर्य समाज की जानकारी हुई और मुंशी जी ने उन्हें स्वामी दयानन्द सरस्वती की सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने को दी। जिसने जीवन की दिशा बदल दी। 1915मे जब भाई परमानंद को फांसी दी गई , तव पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल ने ब्रिटिश शासन को नेस्तनामुद करने की प्रतिज्ञा कर ली। 1916में नवयुवक उनसे जुड़े और मातृ वेदी संस्था बनाई। मैनपुरी षड्यंत्र मे शाहजहांपुर युवक शामिल थे जिनके लीडर पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल थे। 1922मे जब असहयोग आंदोलन गांधी जी ने वापिस लिया इससे वह खिन्न हुए और क्रांति की ओर बढ़ चले। उन्होंने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन बनाई। पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल ने 7अगस्त 1925को इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर ब्रिटिश शासन का खजाना लूटने की योजना बनाई। 09अगस्त 1925को काकोरी स्टेशन पर खजाने से भरी ट्रेन को लूटा गया,इसे ही काकोरी काण्ड कहते हैं।इस काकोरी काण्ड के सूत्रधार पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल थे।इस काकोरी काण्ड में चंद्रशेखर आजाद, अशफ़ाक उल्ला ख़ां, राजेंद्र लाहिड़ी, शचींद्र नाथ बख्शी, मन्मथ नाथ गुप्त, वनवारी लाल, मुरारी लाल, केशव चक्रवर्ती शामिल थे। लेकिन ब्रिटिश शासन ने इसमें ठाकुर रोशन सिंह को भी दोषी बनाया था जबकि वह काकोरी काण्ड में शामिल नहीं थे। काकोरी काण्ड को ब्रिटिश शासन ने ट्रेन की डकैती की जगह ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने की साजिश करार दिया। पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल को गिरफ्तार कर लिया गया और गोरखपुर जेल में डाल दिया। 18दिसंबर 1927को माता पिता से मुलाकात कराई गई 19दिसंबर 1927को गोरखपुर जेल में सुबह 6बजकर 30मिनिट पर फांसी दे दी गई। पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल ने फांसी के तख्ते पर खडे होकर वंदेमातरम, भारत माता की जय।वोला । वह उच्च स्तरीय शायर थे। राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने आगे कहा कि शहीद क्रान्तिकारी अशफ़ाक उल्ला खां का जन्म 22अक्टूबर 1900ई को शाहजहांपुर में हुआ था। आपके पिता शफीकुल्ला खां और मां मजरून निशा था। अशफ़ाक उल्ला खां ने पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल के साथ मिलकर ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया।वह हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बने।शहीद अशफ़ाक ने 09अगस्त1925को काकोरी काण्ड में विशेष भूमिका निभाई। उन्हें गिरफ्तार किया गया। बाद में ब्रिटिश सरकार ने मुकदमा चलाया। 19दिसंबर 1927को फैजाबाद जेल में फांसी दे दी गई। अशफाक उल्ला खां भी बहुत अच्छे शायर थे। अशफ़ाक उल्ला खां और उनके साथियों को हिंदी फिल्म रंग दे बसंती में फिल्माया गया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने आगे बताया कि शहीद ठाकुर रोशन सिंह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिवीर थे। वह असहयोग आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के बरेली जिले मे हुए गोली कांड में सजा काटकर जैसे ही शांति पूर्ण जीवन बिताने घर वापस आए कि हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन मे शामिल हो गए। ठाकुर रोशन सिंह ने काकोरी काण्ड में प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं लिया था फिर भी रौबीले व्यक्तित्व के कारण पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल का साथी मानकर फांसी दे दी गई। क्रान्तिकारी ठाकुर रोशन सिंह का जन्म 22जनवरी 1892को शाहजहांपुर के नबादा गांव में हुआ था। आपके पिता ठाकुर जंगी सिंह जी तथा माता कौशल्या देवी थी। उन्होंने फांसी से पहले वंदेमात रम का उदघोष किया। 19दिसंबर 1927को इलाहाबाद(प्रयागराज)की जेल में फांसी दे दी गई। अंत में तीनों शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा “सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। देखना है ज़ोर कितना बाजु ए कातिल में है।। अध्यक्षता करते हुए मोहन स्वरूप गुप्ता, संचालक इंजिनियर प्रमोद कुमार शर्मा, ब्रजेश कुमार चौहान, रमाकांत सक्सेना, श्री मति रानी शर्मा, श्री मति कमला देवी शर्मा ने विचार व्यक्त करते हुए तीनों क्रांतिकारियों के बलिदान के कारण ही 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ।हम सब पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह के ऋणी हैं। नई पीढी को इन त्यागी महापुरुषों के योगदान को हमेशा याद रखना चाहिए।
बलिदान दिवस कार्यक्रम में डॉक्टर ध्रुव मिश्रा,दुर्गेश तोमर, पूजा गुप्ता, संजय सिंह, संजीव कुमार सिंह, सो बाईनू शुक्ला, कनिष्का गुप्ता, महेश चंद शर्मा, अजमेरी खान, प्रशांत गौड़ , राजेंद्र कुमार गोयल, विष्णु दत्त गुप्ता, डी पी शर्मा, अमित कुमार शर्मा आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन राष्ट्र गान से हुआ।सर्व समाज जागरुकता अभियान भारत एवम अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के संयुक्त तत्वावधान में महान स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल , क्रांतिकारी अशफ़ाक उल्ला खां, क्रांतिकारी ठाकुर रोशन सिंह का बलिदान दिवस जिला कार्यालय A/155आवास विकास पर मनाया गया। सर्वप्रथम मुख्य अतिथि/मुख्य वक्ता अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने तीनों शहीद के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। अध्यक्षता मोहन स्वरूप गुप्ता ने की।संचालन इंजीनियर प्रमोद कुमार शर्मा ने किया। कार्यक्रम संयोजक श्री मति रानी शर्मा (जिला संयोजक सर्व समाज जागरुकता अभियान भारत एवम जिलाध्यक्ष अखिल भारतीय ब्राह्मण महिला महासभा)रही।मुख्य अतिथि/मुख्य वक्ता अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि महान स्वतंत्रता सेनानी, अमर शहीद, क्रान्तिकारी पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल का जन्म 11जून 1897ई को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर शहर के खिरनी बाग मौहल्ले मे हुआ था। आपके पिता पण्डित मुरलीधर और माता मूलमति थीं। पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल ने उर्दू में मिडिल तक शिक्षा प्राप्त की बाद में अंग्रेजी का भी ज्ञान प्राप्त किया। जब वह मुंशी इंद्रजीत से मिले तब उन्हें आर्य समाज की जानकारी हुई और मुंशी जी ने उन्हें स्वामी दयानन्द सरस्वती की सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने को दी। जिसने जीवन की दिशा बदल दी। 1915मे जब भाई परमानंद को फांसी दी गई , तव पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल ने ब्रिटिश शासन को नेस्तनामुद करने की प्रतिज्ञा कर ली। 1916में नवयुवक उनसे जुड़े और मातृ वेदी संस्था बनाई। मैनपुरी षड्यंत्र मे शाहजहांपुर युवक शामिल थे जिनके लीडर पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल थे। 1922मे जब असहयोग आंदोलन गांधी जी ने वापिस लिया इससे वह खिन्न हुए और क्रांति की ओर बढ़ चले। उन्होंने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन बनाई। पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल ने 7अगस्त 1925को इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर ब्रिटिश शासन का खजाना लूटने की योजना बनाई। 09अगस्त 1925को काकोरी स्टेशन पर खजाने से भरी ट्रेन को लूटा गया,इसे ही काकोरी काण्ड कहते हैं।इस काकोरी काण्ड के सूत्रधार पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल थे।इस काकोरी काण्ड में चंद्रशेखर आजाद, अशफ़ाक उल्ला ख़ां, राजेंद्र लाहिड़ी, शचींद्र नाथ बख्शी, मन्मथ नाथ गुप्त, वनवारी लाल, मुरारी लाल, केशव चक्रवर्ती शामिल थे। लेकिन ब्रिटिश शासन ने इसमें ठाकुर रोशन सिंह को भी दोषी बनाया था जबकि वह काकोरी काण्ड में शामिल नहीं थे। काकोरी काण्ड को ब्रिटिश शासन ने ट्रेन की डकैती की जगह ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने की साजिश करार दिया। पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल को गिरफ्तार कर लिया गया और गोरखपुर जेल में डाल दिया। 18दिसंबर 1927को माता पिता से मुलाकात कराई गई 19दिसंबर 1927को गोरखपुर जेल में सुबह 6बजकर 30मिनिट पर फांसी दे दी गई। पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल ने फांसी के तख्ते पर खडे होकर वंदेमातरम, भारत माता की जय।वोला । वह उच्च स्तरीय शायर थे। राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने आगे कहा कि शहीद क्रान्तिकारी अशफ़ाक उल्ला खां का जन्म 22अक्टूबर 1900ई को शाहजहांपुर में हुआ था। आपके पिता शफीकुल्ला खां और मां मजरून निशा था। अशफ़ाक उल्ला खां ने पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल के साथ मिलकर ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया।वह हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बने।शहीद अशफ़ाक ने 09अगस्त1925को काकोरी काण्ड में विशेष भूमिका निभाई। उन्हें गिरफ्तार किया गया। बाद में ब्रिटिश सरकार ने मुकदमा चलाया। 19दिसंबर 1927को फैजाबाद जेल में फांसी दे दी गई। अशफाक उल्ला खां भी बहुत अच्छे शायर थे। अशफ़ाक उल्ला खां और उनके साथियों को हिंदी फिल्म रंग दे बसंती में फिल्माया गया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने आगे बताया कि शहीद ठाकुर रोशन सिंह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिवीर थे। वह असहयोग आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के बरेली जिले मे हुए गोली कांड में सजा काटकर जैसे ही शांति पूर्ण जीवन बिताने घर वापस आए कि हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन मे शामिल हो गए। ठाकुर रोशन सिंह ने काकोरी काण्ड में प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं लिया था फिर भी रौबीले व्यक्तित्व के कारण पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल का साथी मानकर फांसी दे दी गई। क्रान्तिकारी ठाकुर रोशन सिंह का जन्म 22जनवरी 1892को शाहजहांपुर के नबादा गांव में हुआ था। आपके पिता ठाकुर जंगी सिंह जी तथा माता कौशल्या देवी थी। उन्होंने फांसी से पहले वंदेमात रम का उदघोष किया। 19दिसंबर 1927को इलाहाबाद(प्रयागराज)की जेल में फांसी दे दी गई। अंत में तीनों शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा “सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। देखना है ज़ोर कितना बाजु ए कातिल में है।। अध्यक्षता करते हुए मोहन स्वरूप गुप्ता, संचालक इंजिनियर प्रमोद कुमार शर्मा, ब्रजेश कुमार चौहान, रमाकांत सक्सेना, श्री मति रानी शर्मा, श्री मति कमला देवी शर्मा ने विचार व्यक्त करते हुए तीनों क्रांतिकारियों के बलिदान के कारण ही 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ।हम सब पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह के ऋणी हैं। नई पीढी को इन त्यागी महापुरुषों के योगदान को हमेशा याद रखना चाहिए।
बलिदान दिवस कार्यक्रम में डॉक्टर ध्रुव मिश्रा,दुर्गेश तोमर, पूजा गुप्ता, संजय सिंह, संजीव कुमार सिंह, सोनू शुक्ला, कनिष्का गुप्ता, महेश चंद शर्मा, अजमेरी खान, प्रशांत गौड़ , राजेंद्र कुमार गोयल, विष्णु दत्त गुप्ता, डी पी शर्मा, अमित कुमार शर्मा आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन राष्ट्र गान से हुआ।