उझानी। राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन की गंगा संवाद यात्रा यात्रा का स्वागत भगवान दास पैलेस में राहुल शंखधर , किशन चन्द्र शर्मा , प्रदीप चन्द्र गोयल, राजीव गुप्ता ने किया । विख्यात बी.जे.पी. थिंकटैंक गोविन्दाचार्य जी ने गंगा संवाद यात्रा के प्रथम चरण की समाप्ति पर प्रेसवार्ता में कहा गंगा जी के बंधन, विभाजन और प्रदूषण की समस्या को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाना चाहिए। नरौरा बंधन और विभाजन का प्रतीक है ,तो कानपुर के गंगा प्रवाह क्षेत्र में ध्यान देने की जरूरत है , 2007 में मैने गंगा सागर से गंगोत्री तक कि यात्रा की थी । हमारी मांग सरकार से है की 1.नदियों में हर मौसम में न्यूनतम पर्यावरणीय प्रभाव सुनिश्चित हो,2. सिंचाई पेयजल आदि के लिए नदियों से निकलने वाले जल की अधिकतम सीमा निश्चित करने का कानून बने। 3.नदियों को स्वयक्षम इकाई मानते हुए उनके अधिकार को व्यख्याति करने का कानून बने।4. नदियों की अपनी जमीन तय की जाए और उसे सरकारी राजस्व अभिलेख में दर्ज किया जाए, अतिक्रमण की परिभाषा तय की जाए ।5.नदियों के दोनों तरफ बफर जोन हरित क्षेत्र बनाए जाए।6. गंदे पानी की निकासी के लिए नदियों के दोनों तरफ समांतररास्ता बने। 7. एस.टी.पी. की भूमिका की समीक्षा हो और शोधित जल के उपयोग का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जाए। गंगा संवाद यात्रा नरोरा से क़ादिर चौक पहुची, 113 किलोमीटर की यात्रा पूरी हुई ।दूसरा चरण 28 अक्टूबर से कादरचौक से शुरु हो कर 3 दिसम्बर की कानपुर के बिठूर पहुँचेगी। गंगा संवाद यात्रा में बसवराज पाटिल, पत्रकार अवधेश कुमार ललिता देवी, निरंजना देवी, निधि देवी, दिनेश तिवारी, वाशुदेवआचार्य,विवेक त्यागी जीबकांत झा, मुरार सिंह, अरविंद तिवारी, सागर पाठक, रोनित,प्रिंस शर्मा , प्रभाकर शर्मा , नौहवत, मोहन सिंह, उज्वल झा, सूरज आदि थे।