प्रयागराज। सनातन धर्म में अन्न को ‘ब्रह्म’ का स्वरूप माना गया है। किसान अन्न रूपी ब्रह्म की उत्पत्ति करता है। वो खुद भूखा रहकर देश के लोगों का पेट भरता है। ऐसे अन्नदाता का सड़क पर बैठना राष्ट्रहित नहीं है। मेरा किसानों से आग्रह है कि वो केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानून को रद कराने का हठ छोड़कर उसकी खामियों को दूर कराएं। कानून रद करने की मांग अनुचित है। यह कहना है श्री निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी प्रज्ञानंद गिरि का। प्रयागराज भ्रमण पर आए स्वामी प्रज्ञानंद ने कहा कि सरकार कोई भी कानून राष्ट्र व समाज के हर वर्ग के लोगों का हित ध्यान में रखकर बनाती है। यह भी सत्य है कि कानून में कुछ खामियां भी होती हैं। खामियों को सुधारा जाना चाहिए, कृषि कानून में सुधार करने के लिए सरकार तैयार है।उन्होंने कहा कि वो किसानों के साथ हैं। किसान राष्ट्र का अस्तित्व हैं, उनकी मांग का समर्थन भी करते हैं। लेकिन, कानून रद कराने की मांग को जायज नहीं मानते। सरकार किसानों की चिंता दूर करने के लिए कानून में संशोधन कर रही है। वैसे ही किसानों को कानून रद कराने की जिद छोडऩी चाहिए। यही राष्ट्रहित में है, मुझे विश्वास है कि देश का अहित नहीं होने देंगे। स्वामी प्रज्ञानंद अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण को कोरोना काल की उपलब्धि बताते हैं। कहते हैं कि कोरोना काल में दुनिया ने बहुत कष्ट झेला। हर देश को विपरीत परिस्थितियों का सामना कना पड़ा। लेकिन, भारत में श्रीराम मंदिर निर्माण शुरू होना बड़ी उपलब्धि है। श्रीराम की कृपा से राष्ट्र जल्द आत्मनिर्भर बनकर पूरी दुनिया को दिशा देगा।कहा कि प्रयागराज में लग रहे माघ मेला के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयास की सराहना की। कहा कि इसी तर्ज पर हरिद्वार कुंभ पूरी भव्यता से होना चाहिए। इस दौरान स्वामी रामानंद, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शेखर बहुगुणा आदि मौजूद रहे।