बरेली में राष्ट्रपति ने आईवीआरआई के दीक्षांत समारोह में मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित किया

बरेली। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI), बरेली में आयोजित 11वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भावनात्मक और प्रेरणास्पद संबोधन दिया। उन्होंने विद्यार्थियों से संवाद करते हुए कहा कि पशु चिकित्सा केवल एक पेशा नहीं, बल्कि यह सेवा और संवेदना का क्षेत्र है। राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा, “मैं जिस परिवेश से आती हूं, वह सहज रूप से प्रकृति और पशुओं के निकट है। आज हम तकनीक-प्रधान जीवन जी रहे हैं, लेकिन एक समय था जब पशु ही हमारे जीवन के अभिन्न साथी थे। किसान की उन्नति पशुओं के सहयोग से ही संभव होती थी।” उन्होंने आगे कहा कि मानव और पशु का रिश्ता केवल उपयोग का नहीं, बल्कि परिवारिक और आत्मीय है। हमारी भारतीय संस्कृति हर जीव में ईश्वर की उपस्थिति को मानती है, यही संवेदना हमें पशुओं के प्रति करुणा से भर देती है। समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी संस्थान की उपलब्धियों की सराहना की और कहा, “नाथनगरी बरेली में IVRI ने आधुनिक वैज्ञानिक सोच और शोध की एक सशक्त पहचान बनाई है। आप जैसे वैज्ञानिक संवेदनाओं को विज्ञान से जोड़ते हैं, यह पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत है।” इस अवसर पर राष्ट्रपति ने मेधावी छात्रों को पदक प्रदान कर सम्मानित किया और देश सेवा के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने विद्यार्थियों को उपाधि व मेडल भी प्रदान किया। राष्ट्रपति ने कहा कि 1889 में स्थापित इस संस्थान ने 135 वर्ष की यात्रा में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। राष्ट्रपति ने वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध कार्यों और इस संस्थान नाम दर्ज अनेक पेटेंट्स, डिजाइन, कॉपीराइट्स चर्चा करते हुए कहा कि ‘प्रिवेंशन इज बेटर देन क्योर’ कहावत पशुओं के स्वास्थ्य के लिए भी पूरी तरह से लागू होती है। बीमारियों के रोकथाम में टीकाकरण की अहम भूमिका है। इस संस्थान के लिए गर्व का विषय है कि राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में अनेक टीके यहीं पर विकसित किए गए। राष्ट्रपति ने कहा कि गिद्धों के विलुप्त प्राय होने के पीछे पशु चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक दवाओं की भी भूमिका है। ऐसी दवाओं पर प्रतिबंध लगाना गिद्धों के संरक्षण की दिशा में सराहनीय कदम है। वैज्ञानिकों के इस दिशा में कदम उठाने पर राष्ट्रपति ने बधाई दी। कई प्रजातियां या तो विलुप्त हो गईं या विलुप्त होने के कगार पर हैं। इन प्रजातियों का संरक्षण पर्यावरण संतुलन के लिए बहुत आवश्यक हैं। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान जैसे संस्थान जैव विविधता को बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाते हुए आदर्श प्रस्तुत करें।राष्ट्रपति ने उपाधि व पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की बड़ी संख्या देखकर गर्व हो रहा है कि बेटियां अन्य क्षेत्र की तरह पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भी आगे आ रही हैं, यह शुभ संकेत है।
राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा करियर के रूप में आपने निरीह व बेजुबान पशुओं की चिकित्सा व कल्याण के क्षेत्र को चुना है। इसमें सर्वे भवन्तु सुखिनः… भारतीय सोच का भी योगदान रहा है। इसी भावना साथ आपने शिक्षा प्राप्त की होगी और भविष्य में भी इसी मूल भावना के साथ कार्य करते होंगे। जब भी आपके सामने दुविधा का क्षण हो तब उन बेजुबान पशुओं के बारे में सोचिए। जिनके कल्याण के लिए आपने शिक्षा ग्रहण की है। आपको सही मार्ग जरूर दिखाई देगा। राष्ट्रपति ने कहा कि पशु विज्ञान विभिन्न क्षेत्रों में उद्यमिता व स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए इस संस्थान में पशु विज्ञान इनक्यूबेटर कार्यरत है। इस सुविधा का लाभ लेते हुए उद्यम स्थापित करने चाहिए। इससे न केवल जरूरतमंदों को रोजगार दे पाएंगे, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी योगदान कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि वन हेल्थ की अवधारणा महत्व प्राप्त कर रही है। माना जाता है कि मानव, घरेलू तथा जंगली जानवर, वनस्पति व व्यापक पर्यावरण एक-दूसरे पर आश्रित हैं। हमें अपनी परंपरा व इस अवधारणा का अनुसरण करते हुए पशु कल्याण के लिए प्रयास करना चााहिए। प्रमुख पशु संस्थान रूप में इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट जेनेटिक बीमारियों के नियंत्रण व रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। ईश्वर ने मनुष्य को जो सोचने-समझने की शक्ति दी है। उसका उपयोग जीव-जंतुओं के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए।