बदायूं। कैपिटल पब्लिक स्कूल में 18 मई से चल रहे को समर कैंप का समापन हुआ। समर कैप में बच्चों ने कई प्रकार के मॉडल जिनको बेस्ट मैटीरियल जैसे प्लास्टिक की बोतलें, पुराने अखवार, टिशु पेपर का प्रयोग कर पशु पक्षियों एवं फूलों की विभिन्न आकृतियों बनाना सीखा। जिसमें बच्चों द्वारा बोतलों का प्रयोग का भालू, फुले, हिरन आदि की सुन्दर आकृति बनायी गयी। अध्यापिका पूनम यादव ने पुराने अखवार, टिशु पेपर से फूल फोटो फ्रेम, फूलों की माला आदि बनाना सिखाया इसके अतिरिक्त बच्चों ने फलों और सर्वजयों से आकर्षक सलाद, फूट घाट बनाना भी सीखा। बच्चों ने मेहदी की बोन से मेंहदी की आर्कषक डिजाइन बनाना सीखा तथा बच्चों के बीच मेहदी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। जिसमे कक्षा 6 की छात्रा आराध्या कश्यप ने सबसे अच्छी मेहदी लगाकर सबका मन मोह लिया । अध्यापिका पूनम यादव एवं रूपा सक्सेना ने बच्चों को ढोलक बजाना, हारमोनियम बजाना भी सिखाया । इसके अलावा बच्चों को योग के बारे में बताकर उसके कई आसनों को समझाया गया और बच्चों को बताया कि योग से हमारा शरीर चुस्त दुरूस्त और मस्तिष्क तीव्र होता है। योग से हमारा शरीर निरोग रहता है समर कैम्प के दौरान बच्चों के द्वारा बेस्ट मैटीरियल से बनाए गए गमलों में पौधा रोपण भी करवाया गया तथा उनको बताया कि हमारे जीवन में पौधों का कितना अधिक महत्व है एवं उनसे हमें कई प्रकार से लाभ प्राप्त होता है।समर कैम्प के दौरान ही बच्चों ने कागज से विभिन्न प्रकार के फूलों को बनाना सीखा जो देखने में आकर्षक और प्राकृतिक लग रहे थे। बच्चों ने कैम्प में विदआउट फायर बुकिंग सीश्री जिसमें बिना आग के विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनाना सीखा। समर कैम्प के अंतिम दिन बच्चों को आउटिंग के लिए KIDS ZONE, BUDAUN CITY MALL, JOGIPURA ले जाया गया जहाँ बच्चों ने खूब उत्साह, उमंग के साथ मनोरंजन कर का विभिन्न प्रकार के झूलों आदि का आनंद उठाया । समर कैम्प में प्रधानाचार्य मीनू सिंह ने बताया कि कैम्प के माध्यम से बच्चों में छिपी अलग अलग प्रकार की प्रतिभाओं को बाहर निकालने का मौका मिलता है जिससे बच्चों मे रचनात्मक, सृजनात्मक और स्वालम्बन की भावनाओं का विकास होता है। प्रचानाचार्य मीनू सिंह ने कहा कि समर कैम्प बच्चों के मानसिक और शारिरिक विकास की वृद्धि में बहुत सहायक है। अंत में प्रधानाचार्य ने सभी का आभार प्रकट किया। इस अवसर पर पूनम यादव, रूपा सक्सेना, अमित जौहरी आदि का योगदान सराहनीय रहा।