कुल शरीफ से हुआ शाहजी का उर्स मुकम्मल
बरेली। हज़रत शाहजी रफीकुल औलिया के 15 वे उर्स शरीफ पर दूसरे दिन गुरुवार को तरही मुशायरा का आयोजन किया गया । मुशायरा की क़यादत साहिबे सज्जादा हज़रत मुहिब मियाँ साहब ने व निज़ामत डॉ. हिलाल बदायूँनी ने फरमाई । महफ़िल के मेहमाने खुसूसी के तौर पर हज़रत असलम मियाँ वामिकी ने शिरकत फरमाई । महफ़िल का आगाज़ मस्जिद रफीकुल औलिया के खतीब इमाम मुहम्मद सलीम ने तिलावत क़ुरआन से किया । इसके बाद सनाख्वाने मुस्तफा सय्यद वसी रफ़ीकी ने नात के शेर सुनाए । नात के बाद शुरू हुए तरही मुशायरा में शायरों ने रफीकुल औलिया चश्मे करम हम पर ज़रा कर दो मिसरा के तरह पर शेर सुनाए ।
सरवत परवेज़ सहसवानी ने कहा
रफीकुल औलिया हमवार मेरा रास्ता कर दो
ज़माने का भला तुमने किया मेरा भला कर दो
हयात बरेलवी ने कहा
तुम्हारा ज़िक्र भी होगा मुहम्मद के ग़ुलामों में
जो हैं अरकान उल्फत के अगर तुम वो अदा कर दो
असरार नसीमी ने कहा
खुदा ने अपनी क़ुदरत से तुम्हें बख्शी है वो क़ुदरत
समन्दर में भी तुम चाहो तो पैदा रास्ता कर दो
बिलाल राज़ ने कहा
जफ़ा पर सब्र करना संगबारी पर दुआ करना ।
मिसाल ऐसी अगर दोनों जहां में हो तो लाकर दो ।
राहिल बरेलवी ने कहा
यही पहचाने मोमिन है यही फरमाने आक़ा है ।
कोई कांटे अगर दे फूल उसको मुस्कुराकर दो
कनवीनर मुशायरा दुलारे फारूकी ने कहा
यहीं से देख लूँ सारे मनाज़िर पाक रोज़े कब
मेरी बीनाई में इतना इज़ाफ़ा मुस्तफा कर दो ।
निज़ामत कर रहे डॉ हिलाल बदायूँनी ने कहा
हिरासत में रखो या फिर सज़ा में मुब्तिला कर दो
असीरे शाहजी कब कहता है मुझको रिहा कर दो
मुशायरे मर इनके अलावा उस्ताद शायर मुख्तार तिलहरी , नवाब अख्तर , साबिर बरेलवी , अदनान काशिफ , आबिद नियाज़ी , रईस बुधौलवी , हाफ़िज़ ज़ाहिद वज़ीरगंजवी , फ़राज़ और दानिश ने आने तरही अशआर पेश किए । महफ़िल में खानकाह वामीकिया से आये हज़रत असलम मियाँ ने खुसूसी खिताब भी फरमाया व साहिबे सज्जादा हज़रत मोहिब मियाँ नर सभी शायरों का शुक्रिया अदा किया और शाहजी रफीकुल औलिया के पैग़ामात को आम किया । इसके बाद शुक्रवार नमाज़ जुमा के बाद कुल शरीफ की महफ़िल सजाई गई । जिसमें हाफ़िज़ सलीम , सय्यद मुहम्मद वसी , मौलाना समी अख्तर रामपुरी , कारी गुलाम यासीन , नौशाद सीतापुरी , कैफ रफीक ने अपनर अपने अंदाज में कलाम पेश किए । कुल शरीफ की महफ़िल में पीलीभीत से आये मौलाना अतीक ने आने खिताब में फरमाया कि शाहजी रफीकुल औलिया ने ऊनी ज़िन्दगी अपने पीर की मुहब्बत में वक़्फ़ कर दी । मौलाना अतीक ने शेर में फरमाते हुए कहा
तेरे क़दमों में मुक़द्दर से जगह पाई है तेरी निस्बत मुझे दरबार मे ले आई है
महफ़िल में कुलशरीफ की फातिहा में सज्जादा नबीराए शाहजी रफीकुल औलिया हज़रत मोहिब मियाँ ने खुसूसी दुआए फरमाई । इस मौके पर नायब सज्जादा हज़रत फय्यूख अहमद , शहज़ादए शाहजी हसीन अहमद , व दूर दराज से आये हाफिज शायर उलेमा आदि मौजूद रहे । कुल की महफ़िल में शाहजी के हज़ारों चाहने वालों ने शिरकत की और अपनी अपनी मुरादें हासिल की ।




















































































