बरेली। महाराष्ट्र के नागपुर में 12 अक्टूबर से 14 अक्टूबर को बौद्ध धम्म दीक्षा समारोह आयोजित हो रहा है जिसमें यूपी उत्तराखंड के सहित लाखों की संख्या में शामिल होकर बौद्ध धर्म की दीक्षा लेंगे । इस संबंध में राष्ट्रीय बौद्ध महासभा ने उपजा में प्रेस क्लब में कॉन्फ्रेंस करके मामले में जानकारी दी। इस मौके पर यूपी उत्तराखंड एवं दिल्ली के प्रभारी बाबू जगदीश प्रसाद ने बताया कि कि अशोक धम्म विजय दशमी बौद्धों का प्राचीन पर्व है। इस दिन सम्राट अशोक महान ने बुद्ध धम्म संघ की शरण ग्रहण की थी । वह तथागत बुद्ध के प्रबल अनुयायी और बौद्ध धम्म के कट्टर समर्थक और प्रचारक थे। जिनकी राजधानी नागपुर थी। नागों की राजधानी होने के कारण पास मे बहने वाली नदी का नाम भी नागनदी है। यही पर कुछ दूर नागार्जुन टेकड़ी (पहाडी) भी है। इसलिए आज से 68 वर्ष पूर्व बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर ने इस पवित्र भूमि को दीक्षा समारोह के लिए निश्चित किया।जबकि बाबा साहब पहले सारनाथ (उ.प्र.) मे दीक्षा लेना चाहते थे, उसे निरस्त कर बम्बई और ओरंगावाद में दीक्षा के लिए निश्चित किया था। प्रदेश महासचिव सुशील कुमार निगम ने कहा कि बौद्ध धम्म करूणा, मानवता, समता का द्योतक है। यहां कोई जाति नहीं होती, इसलिए जातिविहीन समाज के निर्माण के लिए हम सभी को बौद्ध धम्म स्वीकार करना चाहिए। प्रदेश कमांडर अमर सिंह बौद्ध जी ने कहा कि बौद्ध धम्म की क्या पहचान मानव – मानव एक समान। सम्राट अशोक ने धम्म की पहचान भारत ही नही पूरे विश्व मे किया। बरेली मण्डल संयोजक हरीश कुमार सत्यार्थी एडवोकेट ने कहा कि कांशीराम जी की भी इच्छा थी कि वह लाखों अनुयाइयों के साथ बौद्ध धम्म को ग्रहण करें। इस लिए उनकी पुण्य तिथि 9 अक्टूबर 2024 से अशोक विजय दशमी तक सभी लोग अपने अपने घरों, गलियों, मोहल्ले में पंचशील का ध्वज लगाने का कार्य करें ।