न्यायालय ने आत्महत्या के लिए प्रेरित करने के आरोप से पति व सास को किया बरी
गाजियाबाद। गाजियाबाद की एडीजे-15 गौरव शर्मा की अदालत ने आज रेनू त्यागी की आत्महत्या के मामले में पति विश्वदीप त्यागी व सास ब्रह्मवती को बरी कर दिया है। यहां आपको बता दें कि 17 अप्रैल 2008 को शकरपुर दिल्ली निवासी सुभाष चंद्र त्यागी की पुत्री रेनू त्यागी की शादी गाजियाबाद के मकनपुर गांव के निवासी विश्वदीप त्यागी से हुई थी। लेकिन लगभग आठ वर्ष के बाद रेनू त्यागी ने 14 फरवरी 2016 को घर में फांसी लगाकर के आत्महत्या कर ली थी, जिस संदर्भ में मृतका के पिता सुभाष चंद्र त्यागी ने इंदिरापुरम थाने में मृतका के पति विश्वदीप त्यागी, सास ब्रह्मवती त्यागी, ससुर जतन स्वरूप त्यागी, ननंद सुदीप्ता त्यागी, जेठ शिवदीप त्यागी व जेठानी पूनम त्यागी के खिलाफ धारा 306 आत्महत्या के लिए उकासाने के मामले की एफआईआर दर्ज करवाई थी।पुलिस जांच के दौरान पुलिस ने ननंद सुदीप्ता त्यागी, जेठ शिवदीप त्यागी व जेठानी पूनम त्यागी को निर्दोष पाया और उनका नाम निकालते हुए पति विश्वदीप त्यागी, सास ब्रह्मवती त्यागी, ससुर जतन स्वरूप त्यागी के खिलाफ चार्जशीट लगा दी थी, जिसमें से जतन स्वरूप त्यागी का बाद मे निधन हो गया था। इस मामले का न्यायालय में लंबा ट्रायल चला जहां पर मृतका रेनू त्यागी के पिता सुभाष चंद्र त्यागी का आरोप था कि यह लोग उनकी बेटी को दहेज के लिए परेशान करते थे, गंदी नज़रों से देखते थे, बेटी को सीढ़ी से गिरा दिया था आदि। इस मामले में बचाव पक्ष की ओर से गाजियाबाद के तेजतर्रार वरिष्ठ अधिवक्ता नवीन त्यागी थे, उनके तर्कों के सामने वादी पक्ष की एक ना चली और इस मामले में एडीजे-15 गौरव शर्मा की अदालत ने आज रेनू त्यागी के पति विश्वदीप त्यागी व सास ब्रह्मवती को बरी कर दिया। अधिवक्ता नवीन त्यागी ने कहा कि न्यायालय के द्वारा अनेक मामलों में आत्महत्या के लिए उकसाने के रूप में परिभाषित करने के लिए “आवश्यक तत्वों” को परिभाषित किया है। उन्होंने कहा कि आत्महत्या के अपराध के लिए उकसाने का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आरोप होना चाहिए। किसी अन्य व्यक्ति द्वारा मृतक को परेशान करने का मात्र आरोप अपने आप में पर्याप्त नहीं होगा, जब तक कि अभियुक्त की ओर से ऐसे कार्यों के आरोप न हों, जिनके कारण उसे आत्महत्या करने के लिए बाध्य होना पड़ा। भारतीय दंड संहिता की धारा 306 के अंतर्गत आत्महत्या के लिए कथित उकसावे का मामला गठित करने के लिए, आत्महत्या के अपराध के लिए उकसाने के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कृत्य का आरोप अवश्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज माननीय न्यायालय ने सुनवाई के दौरान यह जांचने के बाद अपना फैसला सुनाया कि क्या सबूत “निकटता”, “कार्रवाई”, “उकसाने” या “इरादे” के आवश्यक तत्वों को पूरा करते हैं।