शाहजहांपुर। ब्रह्मांड में 70 प्रतिशत अदृश्य ऊर्जा एवं 25 प्रतिशत अदृश्य पदार्थ मौजूद है। हम केवल और केवल ब्रह्मांड के पांच प्रतिशत हिस्से से ही परिचित हैं। इस पांच प्रतिशत हिस्से में विकिरण, विभिन्न रासायनिक तत्व, तारे, हाइड्रोजन व हीलियम जैसी गैसें आती हैं। ये विचार स्वामी शुकदेवानंद महाविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग के द्वारा आयोजित ऑनलाइन अतिथि व्याख्यान में भौतिकी अनुसंधान प्रयोगशाला, अहमदाबाद के प्रोफेसर पार्थ कोनार ने रखे। व्याख्यान का विषय “सूक्ष्म से वृहद स्तर तक ब्रह्मांड के अवयवों की खोज” था। प्रोफेसर कोनार ने विद्यार्थियों को बताया कि पदार्थ, ऊर्जा, आकाश एवं समय सभी छोटे-छोटे घटकों से मिलकर बने हैं। समय के साथ-साथ हमें इन घटकों का ज्ञान होता चला गया। उदाहरण के लिए एक लंबे समय पहले यह माना जाता था कि ब्रह्मांड केवल पांच तत्वों से निर्मित है। ये पांच तत्व हैं- पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु एवं आकाश। किंतु जैसे-जैसे शोध की प्रगति होती गई, वैसे-वैसे हम इन पांच महाभूतों से अवपरमाण्विक कणों एवं उनकी भी आधारभूत संरचना से परिचित होते गए। प्रोफेसर कोनार ने विद्यार्थियों को प्रकृति में पाए जाने वाले सभी मूल बलों, उनकी आपेक्षिक प्रबलता, उनकी परास एवं अनुप्रयोगों से परिचित कराते हुए बताया कि प्रकृति में गुरुत्वाकर्षण बल ही सबसे ज्यादा प्रभावी बल है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक कण का एक प्रतिकण होता है एवं इस आधार पर उन्होंने कण भौतिकी का मॉडल प्रस्तुत किया। उन्होंने लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर प्रयोग एवं हिग्स बोसोन के विषय में भी विद्यार्थियों को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ब्रह्मांड शुरुआत में एक अति सूक्ष्म बिंदु के रूप में केंद्रित था। महाविस्फोट के साथ इसमें बहुत तेजी से प्रसार हुआ। धीरे-धीरे क्वार्क एवं हैड्रॉन जैसे मूल कण बने एवं उसके बाद हाइड्रोजन जैसी गैसें तथा धीरे-धीरे तारों एवं गैलेक्सियों का निर्माण हुआ। वर्तमान में ब्रह्मांड त्वरित प्रसार की ओर अग्रसर है। कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने ब्रह्माण्ड से संबंधित अनेक प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया। विभागाध्यक्ष शिशिर शुक्ला के निर्देशन में सम्पन्न हुए इस कार्यक्रम में राजनंदन सिंह राजपूत, सत्येंद्र कुमार सिंह, प्रशांत शर्मा, अवनीश चौहान, तुषार आदि का सहयोग रहा।