बरेली। प्राचीनतम एवं भव्यतम बाबा त्रिवटीनाथ मंदिर में संगीतमयी श्री मद्भागवत महापुराण कथा के चतुर्थ दिवस वृंदावन के सुप्रसिद्ध कथा व्यास पं. माधव उपाध्याय ने कहा कि यदि मनुष्य के भक्ति में सामर्थ्य हो तथा प्रभु के प्रति आसक्ति में बल हो तब परमात्मा भी अपने भक्त के आगे कृपा करने के लिए विवश हो जाते हैं। कथा व्यास कहते हैं कि भगवान मनुष्य पर ही नहीं अपितु पशु पर भी समान कृपा करते हैं।तालाब में पानी पीते हुए हाथी के पैर जब मगरमच्छ अपने मुंह में दबा कर मारने का प्रयास करता है तब हाथी की सूंड पर कमल का फूल आ जाता है जोकि पानी से ऊपर होता है।हाथी की असहाय अवस्था देखकर भगवान विष्णु स्वयं प्रकट हो कर हाथी की रक्षा करते हैं। कथा व्यास कहते हैं कि श्रीमद्भागवत की चर्चा मात्र से मनुष्य की मनोवृत्ति नकारात्मक से सकारात्मक हो जाता है। श्री मद्भागवत मात्र कोई ग्रंथ नहीं है अपितु परमात्मा द्वारा जीवन को सुंदर और सरल बनाने का मार्ग है। कथा व्यास कहते हैं कि गुरु का मतलब जो गोविन्द से मिला दे। गुरु का मतलब ये नहीं है जो अपने आपको ही मंदिर में सजा दें। गुरुर साक्षात परम ब्रह्म हैं। वही गुरु श्रेष्ठ हैं जो गुरु गोविंद की राह पर चलने के लिए हमें प्रसन्नता दें। जो गोविंद दे दें वहीं स्वीकार कर लो..वही श्रेष्ठ है। भगवान से मांगना ही तो ये मांगों कि ऐसी दया करो “मेरा ही आत्म कल्याण हो जाये”। कभी कभी भगवान से भगवान को भी मांग लेना चाहिए। तब आनद आता है। कथा व्यास बताते हैं कि जब कंस का अत्याचार बहुत अधिक बढ़ जाता है तब सभी ब्रजवासियों को बचाने के लिए श्री कृष्ण अवतार लेते हैं। अपनी बहन देवकी के विवाह के समय आकाशवाणी होती है कि उसी बहन का आठवां पुत्र उसकी मृत्यु का कारण होगा। कुपित होकर कंस देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल देता है। भगवान कृष्ण के जन्म पर वसुदेव बाल कृष्ण को गोकुल नंद जी के घर ले जाते हैं। आज की कथा के उपरांत वहां उपस्थित काफी संख्या में भक्तजनों ने श्रीमद्भागवत जी की आरती करी तथा प्रसाद वितरण हुआ। मीडिया प्रभारी संजीव औतार अग्रवाल ने बताया कि कथा का समय सांयकाल 4 से 7 बजे तक नित्य 24 नवम्बर तक रहेगा। आज के कार्यक्रम में मंदिर सेवा समिति के प्रताप चंद्र सेठ , मीडिया प्रभारी संजीव औतार अग्रवाल तथा विनयकिशन अग्रवाल का मुख्य सहयोग रहा।